ᐈ शेयर मार्केट में अपर कट और लोअर कट का मतलब - किसी शेयर में कैसे और कब लगता है अपर सर्किट, क्या होता है क्या होता है शेयर बाजार में अपर ओर लोअर
आज की इस पोस्ट में हम जानेंगे कि शेयर मार्केट में अपर सर्किट और लोअर सर्किट [शेयर मार्केट में अपर कट और लोअर कट का मतलब] का क्या मतलब होता है ᐈ
अगर आप शेयर मार्केट में अपने पैसे को निवेश करने का मन बना चुके हैं तो आपको यह जानना भी जरूरी है कि शेयर मार्केट में लोअर सर्किट और अपर सर्किट किस तरह से लगते हैं और यह क्या होते हैं.शेयर मार्केट में अपर कट और लोअर कट का मतलब
अपर और लोअर सर्किट क्या है?
अपर सर्किट क्या है?
- किसी शेयर में कैसे और कब लगता है अपर सर्किट, क्या होता है
- क्या होता है शेयर बाजार में अपर ओर लोअर सर्किट, निवेशकों के लिये
- शेयर में लोअर और अपर सर्किट क्या होता है?
लोअर सर्किट क्या है?
जब किसी कंपनी कैसे शेयर की सप्लाई ज्यादा हो और डिमांड कम हो तो वहां पर शेयर का प्राइस कम हो जाता है और उसी दौरान लोअर सर्किट लगता है यानी कंपनी के शेयर्स को खरीदने वाले कम लोग हैं और शेयर्स की सप्लाई ज्यादा तो लोग उस शेयर को कम पैसे में खरीदना चाहेंगे या फिर उसे खरीदेंगे ही नहीं इसके कई कारण हो सकते हैं कंपनी के रिजल्ट अच्छे ना आना या कंपनी के मैनेजमेंट में परेशानी या मार्केट में अफवाह फैलना इत्यादि. इस तरह से शेयर में लोअर सर्किट लगता है और शेयर का प्राइस नीचे चला जाता है.
- Upper circuit stocks
- lower circuit stocks
Conclusion:
किसी भी कंपनी का शेयर एकदम से नीचे या ऊपर नहीं जा सकता वह सिर्फ 1 दिन में 2 परसेंट 5 परसेंट 10 परसेंट 20% तक ही नीचे जा सकता है या ऊपर जा सकता है क्योंकि यह Sebi या एक्सचेंज का रूल है यह अलग-अलग कंपनियों पर अलग-अलग परसेंटेज के हिसाब से लागू होता है अगर कोई Stock इनसे नीचे ऊपर जाता है तो स्टॉक एक्सचेंज उस कंपनी के Stock को Feez कर देते हैं यानी आप उस कंपनी के Share में ट्रेडिंग नहीं कर सकते यह सिर्फ इक्विटी मार्केट की बात है |
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